Volume 14 | Issue 5
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक रही है। महिलाओं ने न केवल समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि राजनीतिक और राष्ट्रीय आंदोलनों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रारंभिक दौर में, उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों में हिस्सा लिया। सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, और कमला नेहरू जैसी महिलाओं ने नेतृत्व की भूमिका निभाते हुए स्वतंत्रता संग्राम को बल दिया। महिलाओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ न केवल सभाओं और धरनों का नेतृत्व किया, बल्कि जेल यात्राओं का सामना करते हुए साहसिक योगदान भी दिया। वे विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, स्वदेशी वस्त्रों का समर्थन और चरखा चलाने जैसी गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करती रहीं। उनके इस संघर्ष ने न केवल भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका को पुनः परिभाषित किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को भी बढ़ावा दिया। महिलाओं के इस साहस और नेतृत्व ने यह सिद्ध कर दिया कि वे केवल सामाजिक संरक्षक नहीं हैं, बल्कि देश की स्वतंत्रता और राजनीतिक भविष्य के निर्माण में समान रूप से महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका आज भी इतिहास में गर्व का विषय है।