Volume 14 | Issue 5
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पाठकों के हृदय को हिलकोरनेवाली तथा प्रेरणा प्रदायिनी चिंतन शक्ति से संपन्न महादेवी जी का गद्य उनकी वैचारिक विवशता का परिणाम है। अपने पद्य साहित्य में यद्यपि महादेवी जी छायावादी कवित्व, रहस्य दर्शन, और अन्तर्मुखी भावना से प्रभावित रही हैं, फिर भी अपनी निबंध कृतियों के माध्यम से उन्होंने बर्हिमुखी जीवन पर सूक्ष्मतम दृष्टि डाली। उनके शब्दों में "विचार के क्षणों में मुझे गद्य लिखना ही अच्छा लगता है, क्योंकि उसमें अनुभूति ही नहीं, बाह्य परिस्थितियों के विश्लेषण के लिए भी पर्याप्त अवकाश रहता है।" युग के प्रति एक असह्य वेदना, एक व्यापक प्रतिक्रिया और विकल मानसिक अशांति लेकर महादेवी जी गद्य के क्षेत्र में अवतरित होती हैं। उनका गद्य हमारी शिराओं में चेतना भरकर हमें यथार्थ जीवन में झांकने की प्रेरणा प्रदान करता है। उनकी गद्यकला में केवल बौद्धिक विलक्षणता ही नहीं, आत्मा का अंश भी विद्यमान है।