IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

अथर्ववेद में भैषज्य विज्ञान

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डा. विजय नारायण सिंह

Abstract

: वेद भारतीय धर्म और संस्कृति के प्रतीकभूत प्राचीनतम ग्रंथ है , जो ज्ञान को प्रकाश द्वारा मानव को निरंतर श्रेष्ठतम पथ को आलोकित करते रहते हैं । वेदों में ज्ञान-विज्ञान, धर्म-दर्शन , सामाजिक - सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन से संबंधित सभी विषय उपलब्ध है , इसीलिए वेदों को मनु स्मृति में समस्त धर्मों का मूल कहा गया है - “वेदोडखिलो धर्ममूलम “ । मान्यता यह है कि प्रारंभ में एक ही वेद था, जिसे महर्षि वेदव्यास ने ज्ञान के अर्जन एवं याज्ञिक अनुष्ठान में सौविध्य को ध्यान में रखते हुए इसे चार भागों में विभक्त किया - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग्वेद - भाषा भाव और विशेष की दृष्टि से सभी वेदों में प्राचीनतम है, इसका मुख्य विषय देवताओं की स्तुति करना है ।

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