Volume 14 | Issue 5
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वेदांगभूत िन का कथन है - वचे: उयते अनया इित वाक् अथात् िजससे बोला जाय, वह वाक् है। यहाँ यह प है क िन कार ने वाक् के प म वाणी अथवा भाषा के भौितक अथवा ावहारक प को ही िलया है। कतु भारतीय भाषा चतन के मूल उस वेद म वाक् के भौितक प प के साथ-साथ उसके आयािमक प का, उसके सां ावहारक प के साथ-साथ पारमाथक का तथा उसके आिधभौितक, आिधदैिवक और आयािमक सभी प , प और तर भेद का प ता, सू मता और िवशदता के साथ का ामक भाषा म ापक िन पण िमलता है।