IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

भारतीय भाषा दर्शन की भूमिका

Main Article Content

डॉ कृष्ण चंद पांडेय

Abstract

वेदांगभूत िन का कथन है - वचे: उयते अनया इित वाक् अथात् िजससे बोला जाय, वह वाक् है। यहाँ यह प है क िन कार ने वाक् के प म वाणी अथवा भाषा के भौितक अथवा ावहारक प को ही िलया है। कतु भारतीय भाषा चतन के मूल उस वेद म वाक् के भौितक प प के साथ-साथ उसके आयािमक प का, उसके सां ावहारक प के साथ-साथ पारमाथक का तथा उसके आिधभौितक, आिधदैिवक और आयािमक सभी प , प और तर भेद का प ता, सू मता और िवशदता के साथ का ामक भाषा म ापक िन पण िमलता है।

Article Details