IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319 1775 Online 2320-7876

भारतीय जाति व्यवस्था पर औपनिवेशिक प्रभाव

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डॉ. मनीष कुमार

Abstract

जाति भारतीय सामाजिक जीवन का एक प्रमुख यथार्थ है। भारतीय इतिहास का अध्ययन करने वाला कोई भी इतिहासकार, समाजशास्त्री, निर्विज्ञानी और यहाँ तक की राजनीतिक अर्थशास्त्री भी इस सच्चाई की उपेक्षा नहीं कर सकता। निश्चित तौर पर यह बात सही है कि भारतीय जनमानस पर जातिगत मानसिकता का प्रभाव गहराई तक है। लेकिन जाति व्यवस्था और जातिगत मानसिकता की बात पर जोर डालते हुए कई बार सामान्य लोगों से लेकर अकादमिक जीवन में रह रहे लोगों तक में इस पहलू को भारतीय समाज और जीवन का एकमात्र सर्वप्रमुख पहलू करार देने का रुझान होता है। विगत कई वर्षों में विद्वानों के बीच इस विषय पर काफी वाद-विवाद हुआ है। बुनियादी तौर पर यह वाद-विवाद उपनिवेशवाद और उसके प्रशासनिक तंत्र के प्रभाव में भारतीय समाज के परिवर्तन पर होने वाली बहस का हिस्सा है। इस बहस में विद्वानों का एक वर्ग पूर्व-औपनिवेशिक सामाजिक संरचनाओं की निरन्तरता के पक्ष में तर्क देते हैं। वहीं विद्वानों का एक दूसरा वर्ग औपनिवेशिक सरकार द्वारा लगाए गए गुणात्मक परिवर्तनों पर जोर देता है

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