Volume 14 | Issue 5
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आज के समाज में, लैंगिक समानता एक ज्वलंत मुद्दा है। मगहला सशक्तिकरण पर ज़ोर गिया जा रहा है, और यह सही भी है। लेगकन, इस प्रगिया में, पुरुषों के एक विग को नज़रअंिाज़ गकया जा रहा है, वे पुरुष जो घरेलू गहंसा, कानूनी भेिभाव और सामागजक कलंक का गशकार होते हैं। इसगलए, पुरुष आयोि के िठन की मांि उठ रही है। इसका उद्देश्य पुरुषों के अगिकारों की रक्षा करना और लैंगिक न्याय सुगनगित करना होिा। आज के समाज में लैंगिक समानता एक ज्वलंत मुद्दा है। मगहलाओं के अगिकारों और सशक्तिकरण पर बहसें अक्सर सुक्तखगयों में रहती हैं, लेगकन पुरुषों के मुद्दों को अक्सर अनिेखा कर गिया जाता है। इसका एक कारण यह है गक समाज में यह िारणा व्याप्त है गक पुरुष स्वाभागवक रूप से मजबूत और सक्षम होते हैं, और उन्हें गकसी गवशेष सुरक्षा या सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। हालांगक, यह सच नहीं है। पुरुष भी कई तरह की सामागजक, कानूनी और आगथगक चुनौगतयों का सामना करते हैं। इनमें घरेलू गहंसा, यौन उत्पीड़न, भेिभाव, बाल कस्टडी के मुद्दे, और िलत गिरफ्तारी शागमल हैं। पुरुषों के मानगसक स्वास्थ्य को भी अक्सर नजरअंिाज गकया जाता है, गजसके पररणामस्वरूप आत्महत्या िर अगिक होती है। इन मुद्दों को िू र करने के गलए, कु छ लोिों का मानना है गक पुरुष आयोि का िठन गकया जाना चागहए। यह एक सरकारी गनकाय होिा जो पुरुषों के अगिकारों की रक्षा और उन्हें सामागजक न्याय तक पहंच प्रिान करने के गलए समगपगत होिा।