Volume 14 | Issue 5
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भारतीय सस्कतत म प्रकतत का एक महत्वपर् स्थान ह। प्राचीन काल स ही भारतीय समाज न प्रकतत क साथ एकात्मता का अनभव तकया ह और उसक सरक्षर् को धम का एक अतभन्न अग माना ह। हमार धातमक ग्रथों, वेदों, उपतनषदों, और परार्ों म पयावरर् क सरक्षर् और उसकी महत्ता को स्पष्ट रूप स बताया गया ह। भारतीय परपराओ म पयावरर् क प्रतत सम्मान और सवदनशीलता की भावना तनतहत ह