IJFANS International Journal of Food and Nutritional Sciences

ISSN PRINT 2319-1775 Online 2320-7876

दिनकर के निबंधों में कला एवं कलाकार -एक झाँकी

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डॉ.ए.के बिन्दु

Abstract

प्रत्येक लेखक या कलाकार का अपने समय के साथ सरोकार होना चाहिए जिसका पालन संसार के सभी बड़े लेखकों ने किया है। अपने समय या अपने युग के लिए लिखने का अर्थ है अपने युग के मूल्यों की रक्षा करना अथवा उन्हें बदलने का प्रयास करना और इस प्रयास के क्रम में हम वर्तमान से निकलकर भविष्य की ओर बढ़ते रहें। राष्ट्रीय एकता भी इससे सम्भव होती है। दिनकर के शब्दों में कहें तो 'कला और साहित्य की रचना कवि या कलाकार का केवल आत्मनिष्ठ कार्य नहीं होता, प्रत्युत् उस पर उन लोगों की रुचि का भी प्रभाव पड़ता है, जो कवि के मुख्य श्रोता या पाठक होते हैं। जिस कवि को श्रोता या पाठक नहीं मिलते वह असमय मौन हो जाता है।' वस्तुतः सच्ची कला सदा जीवित रहेगी तथा सच्चा कलाकार अमर रहेगा। आज कला संकट में है। कलाकार को इस संकट से मुक्त होने की अत्यन्त आवश्यकता है।

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